महाराष्ट्र में भारी जलवायु आपातकाल: मुंबई में लाल चेतावनी, 10 की मौत, 11,800 बचाए

घर/महाराष्ट्र में भारी जलवायु आपातकाल: मुंबई में लाल चेतावनी, 10 की मौत, 11,800 बचाए

जब महाराष्ट्र में लगातार तीसरा दिन भारी बारिश हुई, तो इंडियन मीटियोरॉलॉजिकल डिपार्टमेंट ने कई जिलों में लाल और नारंगी चेतावनी जारी की। रविवार, 28 सितंबर 2025 को मुंबई‑सुबर्बन, ठाणे, पालघर, रायगढ़, नासिक और पुणे में लाल चेतावनी लगाई गई, जबकि नंदुरबार, जलगाँव आदि में नारंगी सतर्कता जारी है। यह चेतावनी प्रणाली चार‑स्तरीय है – लाल, नारंगी, पीला और हरा – और आज लगभग सत्तर प्रतिशत विभाग को पीले स्तर की चेतावनी में रखा गया है।

ताज़ा स्थिति और चेतावनियाँ

इंडियन मीटियोरॉलॉजिकल डिपार्टमेंट की आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, 29 सितंबर 2025 को पूरे राज्य में अत्यंत तेज़ हवाएँ, तूफ़ानी बारिश और लगातार गड़गड़ाहट की उम्मीद है। महाराष्ट्र भारी बारिश घटनामहाराष्ट्र के तहत सतर्कता के कई चरण मौजूद हैं:

  • लाल चेतावनी: मुंबई, ठाणे, पालघर, रायगढ़, नासिक, पुणे (बहुत भारी वर्षा)
  • नारंगी चेतावनी: नंदुरबार, जलगाँव, भंडारा, सतारा, सिँधुदुर्ग (बहुत भारी वर्षा, इलेक्ट्रिक चमक)
  • पीली चेतावनी: गोंडिया, गडचिरोली, नागपुर, चंद्रपूर आदि (मध्यम बारिश)
आंधी‑तूफ़ान के साथ तेज़ हवाओं की गति 80 किमी/घंटा तक पहुँच सकती है, जो नजदीकी तटीय क्षेत्रों में सी‑लेवल तूफ़ान की तरह महसूस हो रही है।

बाढ़ की आँकड़े और बचाव कार्य

पीटीआई के रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में कम से कम दस लोग बारिश से जुड़ी घटनाओं में मारे गए। नासिक जिले में चार मौतें हुईं, जिनमें से तीन घर के ढहने से हुईं। धाराशिव और अहिल्यानगर में दो‑दो मारे गए, जबकि जलना और यवतमाल में एक‑एक मौत की पुष्टि हुई। इस बीच, राज्य आपातकालीन ऑपरेशन सेंटर ने कहा कि अब तक 11,800 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया है।

रिपोर्टेड बचाव कार्यों में वॉटर‑लिफ्टिंग पंप, चेन‑सॉ और मोबाइल पावर यूनिट्स का प्रयोग मुख्य भूमिका निभा रहा है। कई बाढ़‑ग्रस्त क्षेत्रों में स्थानीय पुलिस, एसडीजी और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) ने एक‑एक करके जल निकासी योजना लागू की।

सरकारी प्रतिक्रिया और उपाय

देवेंद्र फडनविस, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, ने सुबह 06:30 बजे स्थितिकीय स्थिति का रू‑रू हो कर निरिक्षण किया। उन्होंने कहा, "समय पर कार्रवाई करना जरूरी है, विशेषकर नासिक और मराठवाड़ा में हुई लापरवाहियों को देखते हुए"। फडनविस ने जिला प्रशासन को 30 सितंबर 2025 तक उच्च सतर्कता बनाए रखने और अनावश्यक यात्रा से बचने का निर्देश दिया।

इसके अलावा, कई जिलों में 29 सितंबर को स्कूल और आंगनवाड़ी बंद कर दी गईं। विशेषकर नारंगी चेतावनी वाले क्षेत्रों में शैक्षिक संस्थानों को दो‑तीन दिन की अतिरिक्त छुट्टी मिलने की संभावना है। राज्य ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि बाढ़‑प्रभावित गट क्षेत्रों में बाढ़‑प्रवण निचले स्थानों में जल जमाव, पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन और तीव्र बाढ़ की संभावना है।

प्रभावित क्षेत्रों का विश्लेषण

मुंबई में समुद्र‑तट के पास स्थित बंधरावासियाँ, अदभुत जल‑स्तर वृद्धि के साथ झटके ले रही हैं। बळेश्वर, गेटवे ऑफ इंडिया और अलीबाग की सड़कों पर पानी जमा हो गया, जिससे वाहनों को अटकना पड़ रहा है। ठाणे में निल्यम्बर जलाशय का स्तर बढ़कर 92% तक पहुँच गया, जिससे जल‑भंडारण क्षमता को लेकर चिंता बढ़ी।

नासिक जिले के गढ़ी पहाड़ी में लगातार बारिश ने कई गाँवों में बायवाला ध्वस्त कर दिया। यहाँ की कच्ची सड़कें बाढ़‑जंक्शन की तरह काम कर रही हैं, जिससे दवाइयों की आपूर्ति और एम्बुलेंस पहुँचाने में दिक्कत हो रही है। माराठवाड़ा की बीड जिले में जल‑मुक्ति नहरें पूरी तरह बंद हो गईं, जिससे किसानों की फसलों पर सीधा असर पड़ रहा है।

सिंधुदुर्ग और कोल्हापुर के तटीय क्षेत्रों में समुद्री पानी का प्रवेश तेज़ी से हो रहा है। समुद्री लहरें स्थानीय बंधनों को तोड़ रही हैं, जिससे गलियों में पानी की लहरें जमा हो रही हैं। यह वही परिदृश्य है, जो दो साल पहले 2023 के बाढ़‑संकट में देखा गया था, जब 19 हजार से अधिक लोग बचाए गए थे।

भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण

इंडियन मीटियोरॉलॉजिकल डिपार्टमेंट ने बताया कि 3 अक्टूबर 2025 तक भारी बारिश राज्य में जारी रहने की संभावना है। पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार 12‑घंटे के आँप-बारिश सत्र हो सकते हैं, जिससे जल‑भंडारण की दर बढ़ेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि अत्यधिक वर्षा का मुख्य कारण पश्चिमी तट पर बनने वाली गहरा‑नीला हवाओं की प्रभावी लहर है, जो गर्मी‑संकट के बाद धीरे‑धीरे थम्मी हुई है।

कई जल‑स्रोत प्रबंधन निकायों ने पहले से ही बाढ़‑निवारक बेज़ और जल‑आकर्षण टैंकों की स्थिति को सुधारने का काम शुरू कर दिया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के जल‑विज्ञान विभाग के प्रोफेसर अजय कुमार ने टिप्पणी की, "राज्य को अब दीर्घ‑कालिक जल‑परिचालन योजना बनानी होगी, क्योंकि हर साल मानसून की तीव्रता बढ़ रही है।"

सामाजिक संस्थाएँ और NGOs भी मदद के लिये आगे बढ़ रही हैं। सेव द चिल्ड्रेन ने कहा कि वे बच्चों के लिये सुरक्षित आश्रयस्थल तैयार कर रहे हैं, जबकि इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी ने रक्तदान कैंप और मेडिकल किट वितरण का आयोजन किया है।

Frequently Asked Questions

क्या मुंबई में अगली कुछ दिनों में फिर से बाढ़ की संभावना है?

हां, इंदियन मीटियोरॉलॉजिकल डिपार्टमेंट ने कहा है कि 3 अक्टूबर तक मुंबई सहित कई तटीय जिलों में लगातार भारी बारिश की संभावना है। विशेषकर बंडरवाडी, अलीबाग और गेटवे‑ऑफ़‑इंडिया जैसे निचले इलाकों में जल‑जमा होने की आशंका बनी रहती है।

राज्य सरकार ने किन राहत उपायों को प्राथमिकता दी है?

मुख्य उपायों में नियंत्रण कक्ष का 24‑घंटे संचालन, जल‑उठाने वाले पंपों की तैनाती, जल‑निदान एवं बांध‑जल निकालने की निगरानी, तथा आपदा‑उपकरण जैसे चेन‑सॉ और पोर्टेबल जनरेटर की उपलब्धता शामिल है। साथ ही, स्कूल और आंगनवाड़ी बंद कर दी गई हैं।

बाढ़ से प्रभावित लोगों को कैसे मदद मिल रही है?

स्थानीय स्वयंसेवी समूह और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल ने मिलकर 11,800 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया है। इसके अतिरिक्त, राशन, पानी, चिकित्सा किट और अस्थायी आश्रय प्रदान करने के लिये कई NGOs सक्रिय हैं।

भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिये क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

विज्ञानियों का मानना है कि जल‑संरक्षण, बाढ़‑निवारक बेज़ की मजबूती और सटीक मौसम‑पूर्वानुमान प्रणाली को सुदृढ़ करना आवश्यक है। साथ ही, शहर नियोजन में निचले क्षेत्रों के निर्माण पर प्रतिबन्ध और सतत जल‑प्रबंधन नीतियों की आवश्यकता है।

क्या स्कूल और कॉलेजों की छुट्टी का कोई प्रभाव पड़ता है?

छुट्टियों से बच्चों को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहाँ जल‑जनित बिजली कटौती और सड़क बंदी का खतरा है। साथ ही, यह छात्रों को अस्थायी आश्रय स्थल में जमा होने से रोकता है, जिससे बड़ा रेजिडेंट एग्ज़ामिनेशन सत्र भी सुरक्षित रहता है।