कुर्ता पायजामा पहने, सिर पर रुमाल बांधे मशहूर हीरो गुरुद्वारे में लंगर चखता और फिर जूठे बर्तन धोते दिखा तो भीड़ इकट्ठी हो गई, एक झलक पाने को लोग टूट पड़े।वो हीरो कोई और नहीं, बल्कि नाना पाटेकर थे।अपने जमाने के मशहूर एक्टर नाना गजानन पाटेकर रविवार को श्री स्वर्ण मंदिर में नतमस्तक हुए। मकर सक्रांति पर आस्था का सैलाब देखा तो जुबां से वाहेगुरु सतनाम ही निकला। परिक्रमा के बाद उन्होंने लंगर भवन में पंगत के साथ लंगर छका तो सेवा भी की। नाना पाटेकर ने पूछा क्या दुनिया का यह सबसे बड़ा लंगर है। इस पर उन्हें बताया गया कि यह गुरु घर का लंगर है, जिसकी गिनती नहीं होती।नाना पाटेकर ने श्री स्वर्ण मंदिर के विजिटर बुक में लिखा है कि ‘जबसे होश संभाला मन में यही इच्छा थी कि एक दिन स्वर्ण मंदिर जाना है। आज उम्र के 68वें वर्ष में यह मौका मिला। बड़ा सुकून मिला। जिस तरह का माहौल यहां है, न कोई गरीब, न कोई धनवान, न जात, न धर्म। अगर ऐसा माहौल सारे भारतवर्ष में हो जाए तो हमारे बीते स्वर्ण दिन वापस आएंगे। कमाल का डिसीप्लीन। मैं नतमस्तक हूं, नाना गजानन पाटेकर’।मकर संक्रांति पर बॉलीवुड अभिनेता नाना पाटेकर को अपने बीच देखकर देश-विदेश से आए श्रद्धालु उनके साथ सेल्फी लेने व फोटो खिंचवाने के लिए उमड़ पड़े। स्पेशल टास्क फोर्स की कड़ी सुरक्षा में नाना पाटेकर न प्रशंसकों के साथ फोटो खिंचवाई। प्रशंसकों की भीड़ जमा हो गई। नाना प्रशंसकों को हाथ हिलाकर अभिवादन करते रहे।शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने नाना पाटेकर व उनकी पत्नी इस दौरान नीलाकंती पाटेकर को श्री स्वर्ण मंदिर की तस्वीर, धार्मिक पुस्तकों के साथ सिरोपा पहनाकर सम्मान दिया।पहली जनवरी 1951 में जन्में नाना पाटेकर ने 68वें जन्मदिन को मनाने का संकल्प सेना के जवानों के साथ लिया। वहीं उन्होंने मकर संक्रांति पर श्री हरिमंदिर साहिब में दर्शन करके अरदास करने का था। शनिवार को नाना पाटेकर ने सरहद पर जवानों को हौसला बढ़ाया। वहीं रिट्रीट सेरेमनी भी देखी। रविवार को श्री हरिमंदिर साहिब के दर्शन किए और अमृतसर का जायका चखा।नाना पाटेकर ने जलियांवाला बाग के शहीदों को नमन किया। गोलियों के निशान दीवारों पर देखे तो नाना पाटेकर जनरल डायर की क्रूरता पर क्रूर हो गए। भले ही तिरंगा फिल्म में उनके अभिनय को लोगों ने बेहतर एक्टिंग बताई। लेकिन हकीकत में उनका चेहरा लाल हो गया। बाग की दीवारों में गोलियों का निशान देखते रहे। इसके उन्होंने शहीदी कुआं भी देखा।
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