सोमवार, 9 जून, 2025 को लुधियाना के समराला क्षेत्र में तापमान 46.1 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया — पंजाब में 2017 के बाद पहली बार। ये नंबर सिर्फ एक रिकॉर्ड नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। आसमान से आग बरस रही थी, जैसा कि लोग बोल रहे थे। दो लोगों की मौत हो गई। बच्चे, बुजुर्ग, मजदूर — सब घरों में कैद। और ये सिर्फ शुरुआत है। मौसम विभाग ने अगले चार दिनों के लिए पंजाब के 10 जिलों में हीट वेव अलर्ट जारी किया है।
क्यों ये गर्मी इतनी भयानक है?
इस साल की गर्मी सामान्य से 3.8 डिग्री ऊपर है। अजित राणा, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD), चंडीगढ़ के प्रवक्ता, ने कहा कि तापमान में लगातार 1.2 डिग्री की बढ़ोतरी हुई है। ये निरंतर वृद्धि किसी असामान्य घटना नहीं, बल्कि एक बढ़ते हुए रुझान का हिस्सा है। चंडीगढ़ में 43.8 डिग्री, बठिंडा में 45.6 डिग्री, हरियाणा के सिरसा में 46.4 डिग्री — ये सब नंबर इतिहास के अध्याय हैं।
पंजाब के न्यूनतम तापमान में भी 0.9 डिग्री की कमी आई, लेकिन वो भी सामान्य से 2.1 डिग्री ऊपर है। होशियारपुर में रात का तापमान 24 डिग्री रहा — जो आमतौर पर एक आरामदायक रात होती है। लेकिन अब ये भी बर्बरता का हिस्सा बन गया है।
लू का खेल, लोगों की त्रासदी
दोपहर के समय बाहर निकलना जीवन के लिए खतरनाक हो गया है। अमृतसर, पटियाला, फरीदकोट — सभी जिलों में लू चली। लोगों ने बताया कि हवा में धूल और गर्मी का मिश्रण ऐसा है, जैसे आग का बादल सिर पर चल रहा हो। एक रिक्शा चालक ने कहा, "मैं दोपहर को बाहर नहीं निकलता। अगर निकलूंगा, तो घर लौटने तक बेहोश हो जाऊंगा।"
अस्पतालों में गर्मी से संबंधित बीमारियों में 40% तक वृद्धि हुई है। डिहाइड्रेशन, हीट स्ट्रोक, बुखार — ये सब अब रोज़मर्रा की बातें बन गए हैं। डॉ. संजय कुमार, वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक, IMD चंडीगढ़, ने कहा, "यह गर्मी लहर पिछले 11 वर्षों में सबसे अधिक तीव्र है। ये कोई सामान्य गर्मी नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन का दर्दनाक प्रकटीकरण है।"
क्या बारिश से राहत मिलेगी?
एक उम्मीद की किरण थी — प्री-मानसून बारिश। वीरवार को कई जिलों में बारिश हुई। अमृतसर में 22.8 मिमी, पठानकोट में 22 मिमी, बठिंडा में 9 मिमी। इससे कुछ जगहों पर तापमान 2.4 डिग्री गिरा।
लेकिन ये सिर्फ एक छोटी सी छुट्टी है। जैसे ही बारिश रुकी, गर्मी वापस आ गई। मौसम विभाग का कहना है कि मानसून 25 जून, 2025 को पंजाब में पहुंचेगा। तब तक ये गर्मी लहर और भी तीव्र हो सकती है। और यहां कोई तैयारी नहीं है।
क्या सरकार तैयार है?
सरकारी अधिकारी अलर्ट जारी कर रहे हैं, लेकिन असली तैयारी कहां है? न कोई ठंडी जगहें, न बर्फ के बैग, न घर-घर तक पानी की आपूर्ति। बस टीवी पर चल रहा है: "पानी पिएं, दोपहर को बाहर न निकलें।" लेकिन जब घर में भी तापमान 40 डिग्री हो रहा हो, तो ये सलाह किसी काम की नहीं है।
मजदूर, दिनभर खेतों में, निर्माण स्थलों पर काम कर रहे हैं। बच्चे स्कूल जा रहे हैं। बुजुर्ग बाहर निकल रहे हैं — दवा लेने, पानी लेने के लिए। ये सब लोग अभी भी गर्मी के आगे असहाय हैं।
अगला कदम क्या है?
इस गर्मी लहर के बाद, अब बात बदलने की है। शहरों में छायादार रास्ते, सार्वजनिक स्थानों पर पानी के फाउंटेन, गर्मी के दिनों में स्कूल बंद करने का नियम — ये सब अभी तक कागज पर हैं।
हमें सिर्फ तापमान नहीं, बल्कि जीवन के स्तर को भी देखना होगा। अगर हम अपने शहरों को गर्मी के लिए तैयार नहीं करेंगे, तो अगले साल ये रिकॉर्ड फिर टूटेगा। और शायद इस बार दो नहीं, बल्कि 20 लोगों की मौत हो जाए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
पंजाब में गर्मी का रिकॉर्ड कब तक टूटा है?
पंजाब में 2017 के बाद पहली बार तापमान 46.1 डिग्री सेल्सियस पहुंचा है। यह रिकॉर्ड 11 साल पुराना था, जो लुधियाना के समराला में 9 जून, 2025 को टूट गया। इससे पहले अधिकतम तापमान 45.8 डिग्री सेल्सियस था।
हीट वेव अलर्ट किन जिलों में जारी है?
पंजाब के 10 जिलों में हीट वेव अलर्ट जारी है: लुधियाना, बठिंडा, फरीदकोट, फिरोजपुर, मोगा, मोहाली, पटियाला, अमृतसर, पठानकोट और होशियारपुर। इनमें से कई जिलों में तापमान सामान्य से 6-7 डिग्री अधिक है।
गर्मी से मौतों का क्या कारण है?
दो मौतें हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन से हुईं। अधिकांश पीड़ित बाहरी श्रमिक थे — जिन्हें दोपहर में काम करना पड़ता था। उनके पास ठंडा पानी, छाया या आपातकालीन स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं थीं।
मानसून कब आएगा और क्या वह गर्मी कम करेगा?
मौसम विभाग के अनुसार, मानसून 25 जून, 2025 को पंजाब में पहुंचने की संभावना है। प्री-मानसून बारिश ने कुछ राहत दी, लेकिन यह अस्थायी है। मानसून के आने से तापमान में 8-10 डिग्री की गिरावट आने की उम्मीद है।
क्या यह गर्मी जलवायु परिवर्तन का परिणाम है?
हां। IMD के वैज्ञानिकों का कहना है कि उत्तर भारत में गर्मी लहरों की आवृत्ति और तीव्रता पिछले 15 वर्षों में 300% बढ़ गई है। इसका कारण शहरीकरण, वनों की कटाई और वैश्विक तापमान वृद्धि है।
सामान्य जनता क्या कर सकती है?
दोपहर 11 बजे से 4 बजे तक बाहर न निकलें, अधिक पानी पिएं, ऊपरी कपड़े हल्के और ऊन के बजाय कॉटन पहनें। बुजुर्गों और बच्चों को नियमित रूप से जांचें। यदि किसी को चक्कर आए, बेहोशी हो या त्वचा गर्म हो जाए, तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।